एक ऐसी भी सूरत होती है ।
मुस्कुराहट भी आह होती है ।।
नजरो के सामने होते हुए भी ।
मुलाकात की चाह होती है ।।
सखी वक्त का ये तकजा है ।
दिल से दिल की दाह होती है ।।
"सखी" दर्शिता 

Hindi Shayri by Darshita Babubhai Shah : 111233865

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