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कतरा कतरा ! कतरा कतरा जिंदगी पिघल रही है , आसू बनकर निकल रही है | चाहाथा दूर से हि देखू तुझे , रोशनी आखोकी
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વાહ. .
कतरा कतरा ! कतरा कतरा जिंदगी पिघल रही है , आसू बनकर निकल रही है | चाहाथा दूर से हि देखू तुझे , रोशनी आखोकी बुझ रही है | चाहत थी आवाज तरी सूनु , पर कानोकी हालत बुरी है | कैसे पुछू 'क्या मुझसे प्यार करती हो ? ' जुबा साथ नही देती ,लडखडा रही है | क्या तुम दिल हि दिल मे सुनोगी ?, मेरे दिल मे तो तू हि तू रहाती है | गुजर गई उम्र ,तेरी 'हा ' के इंतजार मे , फिर भी उम्मीद है | क्यू के दिल मेरा पागल है , कतरा कतरा जिंदगी पिघल रही है | ------सुरेश कुलकर्णी
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