"आप" "क्यूँ" इन पे "ग़ौर" करते हैं,
"बहते" ही तो हैं "कहाँ" "शोर" करते हैं...

"गुज़रता" है जब "दिल" "दर्द" की हद से,
"मेरे "आँसू" मुझे बस "कमज़ोर" करते हैं...


*copied*

Hindi Shayri by Shankar Bhatiwal : 111232105

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