याद है एक छाते के नीचे
आधे आधे भीगते
अदरक इलाइची की
सौंधी सी महक को
वो आधी आधी प्याली
चाय में बांटना ...
किताबों के पन्नो में
मोर पंखों को सहेज
उन्हें तन्हाई में छूते हुए
एक दूजे की छुअन का
अहसास करना ....
शब भर जागना
तारों को गिनना
चाँद से बातें कर दिल की
खुद से शर्माना
मैंने अब भी संभाल रखा है
उन महकते पलों को
भीगते हुए इस ..
तकिये के गिलाफों में....
प्रिया

Hindi Poem by Priya Vachhani : 111231000

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