तेरा शुक्रगुज़ार हूं मैं....
कहने को वजह तो काफी है....
पर आज यू ही....
तेरा शुक्रगुज़ार हूं मैं....
तूं आई और चली गई जींदगी से....
थोड़े इतेफ़ाक़ से....
और थोड़े धोखे से....
तूं कुछ नए रंग भर गई जींदगी मे....
मुझे मुझसे जानिब कर गई....
शायद तूं अनजाने मे.....
तेरा शुक्रगुज़ार हूं मैं....
इन होठों की मुस्कुराहट के लिए....
तेरा शुक्रगुज़ार हूं मैं....

~ By Writer_shuchi_

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