आधे रास्ते से लौट अना वो....
कैसा जाना है....?
रूठ के यू ही मान जाना भी....
कैसा रूठना है....?
गुस्से के पीछे मुस्कुराहट छुपा के....
तुम्हारे डांटने मे भी कैसा प्यार है....?
जो मेरे आँसू नहीं देख सकता....
और चुपके से प्यार जताता है....
वो रुमाल मेरी तरफ़ सरका के....
~ By Writer_shuchi_
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