मेरे सबसे कमजोर हिस्से की कड़ी है वो
टूट गई बहार आने से पहले वो कली है वो
मेरी जिंदगी पलटने वाली वो बारिश
जिसमें तूफान जलजला बिजलियाँ खुप कड़की
मेरी जिंदगी पलटने वाली है वो
मुझे अपने से वाकिफ करवाया उसने
प्यार था उसका या क्या था पता नही
मगर मुझे मुझसे ही वाकिफ करवाया उसने
मुझे मुझसे बेहतर समझने वाली है वो
मेरे जिस्म से लेके रूह तक को जिसने पढ़ा
मेरे जिंदगी के हर बारीक लम्हे को जिसने छुवा
मेरे लम्हो को गुजारने वाली है वो
और आखिर मे जो उससे ना बन पड़ी वो शक्शियत हूँ मै
उससे जो ना बन पड़ी वो शक्शियत हूँ मै
मुझे अपने खातिर बीच रास्ते पर छोड़ जाने वाली है वो...

Marathi Poem by Harshad Molishree : 111212281

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