लिख देती हु जो
दिल में आता है ,
कई दफा ऐहसास
को भी लिखा है, 
पर लफ्जों मे बया
कर सकु ऐहमियत तेरी 
इतनी काबील अब तक
ना बनी मै. 
©दिपाली प्रल्हाद 

Marathi Shayri by Dipaali Pralhad : 111208722

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