अंधेरे से उठता उजाला हूं में,
मुझे छुपानां तेरे बस में नहीं।

राख़ से उठा हुआ इंसान हूं में,
मुझे मिटाना तेरी औकात नहीं।

आग से उठा हुआ अंगार हूं में,
मुझे बुझाना तेरे बस में नहीं।

तेरे ज़हेन में उठते जितने सवाल है,
में वो हर सवाल का एक जवाब हूं।

-ख़ामोशी (रवि नकुम)

Gujarati Poem by Ravi Nakum : 111196087

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