पूछो हमशे नशा

जाम-ए-कौसर का...!!!

होंठो से लगा कर नहीं

दिल से लगा कर पी हैं,

तुम क्या जानो हक़ीक़त

हमारी, ख़ुद ख़ुदा ने दी हैं,

मांगना या गिड़गिड़ाना

कभी आदत नहीं रही हमारी...!!!

तुम गर अंजान हों, तो दूर ही रहो

जाम-ए-कौसर है बहुत पुरानी...!!!

है ख्वाहिश कौसर तुम्हें

हालाक से नीचे उतारने की,

सच कहूं,बुराई छोड़ कर शुरू करों

जल्द से जल्द तुम ख़ुदाई...!!!


-ख़ामोशी (रवि नकुम)

#khamoshi

Gujarati Poem by Ravi Nakum : 111195687

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