जुदाई के बाद मेरी ज़िन्दगी में ख़ज़ा है,
हमारा मिलन का भी ज़िन्दगी में मजा है।

"पागल" तेरी ये बेरुखी भी कोई वजा है,
तुमसे तो बिछड़ कर ज़िन्दगी में कजा है।

✍?"पागल"✍?

ख़ज़ा - पतझड़
कजा - मृत्यु

English Shayri by Prafull Pandya : 111195355

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