कोई खुशियों की चाह में रोया
कोई दुखों की पनाह में रोया..
अजीब सिलसिला हैं ये ज़िंदगी का..
कोई भरोसे के लिए रोया..
कोई भरोसा कर के रोया..

Hindi Shayri by Mahaveer Panwar : 111181481

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