" तुम.....! "

ख्वाबो का पिछा करते करते मिला एक हसीन ख़्वाब हो तुम,
रूह से लिखी हुई मानो एक किताब
हो तुम,
बस नझर भर उठा कर एक ही बार देखती
हो तुम,
पर न जाने कितने मासूम दिलों का शिकार करति
हो तुम,
यूँ तो हर वक़्त मेरी सांसो में दम भरती
हो तुम,
पर पलभर भी तुम्हे ना देखूँ तो वही सांस रोक लेती
हो तुम,
चांद जैसे ओढ लेता हे, बादलों का लिबास,
दूर होते हुए भी मेरे जज्बातों को चूम लेती
हो तूम...,!!!

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Gujarati Romance by Herat Virendra Udavat : 111176134

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