लाड़ली
बचपन में छोटी लाड़ली ,
मां के साथ सोती,
मां के साथ जागती ,
मां की बात कभी न टालती।
छोटी सी लाडली
मां के संग दौड़ती
मां संग भागती,
मां को ही वो बस जानती।
बचपन की लाडली
थोड़ी सी बावली
मां सी सांवली
मां को ही जग मानती।
छोटी सी लाडली
हुई बहुत बड़ी ,
रही छोटी बावली,
मां सी सलोनी,मां सी सांवली
मां को ही सखी मानती।
भोली सी लाडली
सपने न पालती,
मां के मन को पढ़कर
मां के संग चलकर
मां के सपने को जानती।
जंगली सी लाडली
अस्त व्यस्त सी लाडली
श्रृंगार से अंजानी
न करती मनमानी,
बाल भी उसके मां ही संवारती।
मां की लाडली
घर से निकलकर
बन कर ,संवरकर
पंखों को अपने फैलाकर
उड़ना न जानती,
मां को ही अंबर मानती।
अल्हड़ मस्त लाडली
मां संग रुकी,संग चली,
मां उसको लगती भली,
न फूल बनी ,रही कली,
मुरझाने से पहले लाडली
मां की छोटी लाडली।
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