"कोई "अंदाज़" बदलता है "हसीं चेहरे" "लुभाने" के लियें,
"कोई "अश्क़" बहाता है "हसीं चेहरे" "भुलाने" के लियें...

"लम्हों" का "मज़ा", "सदियों" की "सज़ा" होता है "इश्क़",
"जाने क्यूँ "प्यार" करते हैं लोग "दिलों" को "दुःखाने" के लियें...

Hindi Shayri by Shankar Bhatiwal : 111172348

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