॥ मेरी कोशिश ॥

अगर है जिद है ज़िंदगी को मेरे आँसू बहाने की ।
कसम हमने भी खाई है नमी में मुस्कराने की ॥

तनिक हालात उल्टे हैं तो क्या हम टूट जाएंगे ।
कला हमने भी सीखी है रुदन में गीत गाने की ॥

तुझे लेने हो जितने भी ज़िंदगी इम्तहां ले ले ।
जीत अपनी ही होनी है हार ज़ालिम जमाने की ॥

चुराले फूल खुशियों के बिछादे दर्द राहों में ।
हमें आदत पुरानी है तल्ख कांटो पै जाने की ॥

जला कर खाक कर बेशक मेरे ख्वावों की महफिल को ।
मेरी कोशिश ‘उदय’ होगी वहीं दीपक जलाने की ॥

- उदय

Hindi Shayri by Udayvir Singh : 111172252

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