#काव्योत्सव -2

तुम......याने
मेरे आने वाले कल का जीने का बहाना........

तुम...याने
मुझ मे से मेरा निकलना
और मुझमे तेरा समाना ...........

तू...याने.........
पसंदीदा गलियों में
घूमने का बहाना.....

तू.....याने
मेरी आँखों में समाया एक नाम.........

तू....याने
मेरी यात्रा की मंजिल..........

तू.....याने
मेरी हथेलियों की अदृश्य रेखा ........

तू.....याने
ठण्ड की गुलाबी धूप का पर्याय.........

तू....याने
मेरे अस्तित्व की
परछाई ........

तू.....याने
कविता का दूसरा नाम.......

तू...याने........
मेरा समानार्थी....

तू........ याने
मेरे अकेलेपन का साथ ....

तू.....याने ......

मैं .......
........
हर्षा ठक्कर ,भुज कच्छ ।

Hindi Poem by Harsha Thakker : 111171635

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