#काव्योत्सव

मुझे माफ़ कर दे माँ


तूने मुझे नौ महीने कोख़ में रखा  

पर मैं तुझे नौ दिन भी अपने घर में नहीं रख सका  

मुझे माफ़ कर दे माँ .।

मेरी किलकारियाँ तेरी नींद में खलल डालती  

मेरा रोना भर तुझे मेरी हर जरूरत का एहसास करा जाता था  

मेरा शिशुरूप हो या बचपन सब में तुझे अपना अक्स नजर आता  

पर मैं तेरे बचपन से भरे बुढ़ापे का एहसास न कर पाया  

मैं तेरी झुर्रियों से भरे चेहरे की थकान , तेरी तन्हाई तेरे अकेलेपन को समझ न पाया  

मुझे माफ़ कर दे माँ ........।

ऊँगली पकड़ तूने चलना सिखाया  

तुतली मेरी बोली को तूने दिल में बसाया   

पर तू जब भी कुछ कहती  

तो तुम्हें झिड़क दिया  

तेरे शब्दों को कभी समझ न पाया  

मुझे माफ़ कर दे माँ .......।

अपने मन को मार हमेशा कभी खिलौनें तो कभी किताबें 

कभी कपड़ें तो कभी हर ख़्वाब तूने मेरा अपनाना  

 मुश्किलें हजार सही पर हमेशा मेरा साथ निभाया  

पापा का साया सर से उठ गया  

तो तूने अपने आँचल में छुपाया  

सारे अपने सपनों को मेरे सुपर्द कर दिया  

पर मैं तेरा साथ न निभा पाया 

मुझे माफ़ कर दे माँ .....।


मुझे अपने पैरों पर खड़ा कर तूने हर फर्ज बखूबी निभाया  

बेटी ,बहु ,पत्नी सब तेरे रूप थे पर तूने पहला माँ का धर्म निभाया  

अनगिनत जगरातें किये मेरे भविष्य को तूने सवार  

बुढ़ापे की लाठी समझ  सर्वस्व मुझ पर समर्पित कर दिया 
तू माँ ही नहीं सबसे अच्छी माँ बन गई पर  

मैं तेरा बेटा न बन पाया  

तू तो सुमाता बन गई  

पर ये पूत कभी सपूत नहीं बन पाया  

बुढ़ापे में तुझे पराश्रित कर दिया  

मुझे माफ़ कर दे माँ ....।

तू साथ नहीं है आज मेरे  

पर हर वक्त तू आस पास रहती है  

तेरी परछाई जैसे कहती है  

बेटा मेरा कल तेरा आज है  

आज मेरी तरह तू भी लाचार है  

पूत तेरा सपूत न बन पाया  

शायद मेरा यही गुण मेरे बेटे ने भी आजमाया  

मुझे माफ़ कर दे माँ.......????

मुझे माफ़ कर दे माँ....???

मुझे माफ़ कर दे माँ........। ??



अंजलि व्यास

Hindi Poem by Anjali Dharam Dutt Vyas : 111171422

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