#काव्योत्सव२ .0
।। गीत ।।
#व्यंग्य
एक यही अपराध में हर बार करता हूं ।
आमरण अनशन में बार बार करता हूं ।।

इनकी कथनी और करनी में बड़ा है फर्क।
भ्रष्ट नेता ,राजनीति है बड़ा ही नर्क ।।
कामनवेल्थ ,आदर्श ,घोटाले ही घोटाले ,
हम हैं आपके जनसेवक देते हर दम तर्क।।
तैयार हो आंदोलन को मैं धार देता हूं ।
आमरण अनशन में बार बार करता हूं ।।

हम सभी के प्रतिनिधि बनकर बैठे संसद में।
बीजेपी , कांग्रेस हो सपा , राजद में ।।
पुल बने, सड़के बनी, रोजगार बन गए,
हाय !गरीब की रोटी समाई कागज में ।।
अपना हक पाने को मैं तैयार करता हूं ।
आमरण अनशन मै बार- बार करता हूँ।।

काम कुछ करते नहीं ,बातें करें बेकार की,
खूबियां हरदम गिनाए,बस अपने सरकार की ।
पस्त जनता दे रही ,दुहाई भ्रष्टाचार की ,
कौन सुने फरियाद इन बेबस लाचार की ।।
अब तुम्हारी चोटों पर मैं वार करता हूं ।
आमरण अनशन में बार - बार करता हूं।।

सत्ता ही पैसा इनका ,सत्ता ही भगवान ,
सत्ता ही इनकी तिजोरी ,बन बैठे शैतान ।
सजग जनता भी इन्हें पहचानती खूब,
कौन पीतल ,कौन सोना,अब नहीं नादान ।।
अपनी गलतियों का मै सुधार करता हूँ ।
आमरण अनशन में बार- बार करता हूं ।।
नमिता "प्रकाश"

Hindi Poem by Namita Gupta : 111169731

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