Motivational #kavyotsav2

सागर में उफनती तेज लहरे

लहेरो की भी तीव्र भुजाए

उसमे तिनका बन के तैरूंगा

लेकिन में हार कभी ना मानूंगा

मंजिलो को खींचते हुए

समस्याओ को सींचते हुए

हर कदम पर जीत ही जीत ठानूंगा

लेकिन में हार कभी ना मानूंगा

बचपन में जब डरता था

ऊँगली पकड़ के चलता था

बस अब अकेला चलना सीखूंगा

लेकिन में हार कभी ना मानूंगा

जब निर्णय की चिंगारी हो

उसमे लहू खौलते अंगारे हो

फिर अथाक परिश्रम में डालूंगा

लेकिन में हार कभी ना मानूंगा

दिल में हौसला मेरा बुलंद हो

मन में उत्साह की तरंग हो

भाग्य को पलट कर दिखाऊंगा

लेकिन में हार कभी ना मानूंगा

Hindi Poem by ronak maheta : 111169349

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