#kavyotsav2 /भावनाप्रधान

*हम भी दिवाली मनायेंगे ।:*

बाबा कहता है,
इस साल हम भी दिवाली मनायेंगे ।
आशा है उसको,
सारे दिये बिक जायेंगे ।।

अनपढ है मेरा बाबा,
दुनिया कि उसे खबर नही ।
माँल कि रंगीन लडियों के आगे,
हमारे दियों कि कुछ कदर नही ।।

दिये ना सही
रंगोली तो लोगे ।
सफेद, लाल, पिला
सारे रंग अनोखे ।।

सुना है माँल में अब
रंगोली भी बिकती है ।
खरीददारो कि सारी भीड
अब वही पे भटकती है ।।

ना बिकेंगे दिये,
ना बिकेगी रंगोली ।
कैसे मनायेंगे,
हम इस साल दिवाली ।।

पटाखे, मिठाई, कपडे,
इसलिये तो दिवाली मशहूर है ।
ऐसी दिवाली से
हम अब भी कोसों दूर है ।।

दिवाली दियों का त्यौहार
सबके लिए खुशीया लाती है ।
पता नही सच है क्या
इस्कूल में बाई तो यही सिखाती है ।।

दियों का त्यौहार
फिर भी दिये खरीदें ना जाते ।
खूशियों के भवरें भी तो
आसपास नही मंडराते ।।

इस साल मिठाई नही
सुखी रोटी से काम चला लेंगे ।
बाबा कहता है,
अगले साल हम जरुर दिवाली मनायेंगे ।।

Marathi Poem by Amey Jadhav : 111168765

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