#काव्योत्सव2 .0#kavyotsav2.0#भावनाप्रधान
यूँ ही जबरदस्ती किसी को हँसा नहीं सकते, जो आदी होता है मुस्कुराने का, उसे रुला नहीं सकते। यूँ तो मेरा और तेरा रिश्ता ख़ास है, इसलिए तू ही तो मेरे पास है।इतनी बेरूखी अब तू ना दिखाना, मुझे डर लगता है।इतनी बेरुखी अब तू ना दिखाना,मुझे डर लगता है।एक तू तो है, जो मेरे दिल में बसता है।
--