#kavyotsav_2
#शायद_तुमको_मुझसे_प्यार_था
शायद तुमको मुझसे प्यार था
तू कालेज आया करती थी
मुझे सिलेबस सा पढ़ने के लिए
यूँ साइड वाले बेंच पर बैठकर
मुझे एकटक देखते रहना
मुझे चुप बैठे देखकर
यूँ ही मुझसे बाते करना
ये सब क्या था?
शायद तुमको मुझसे प्यार था

मुझे केंटीन में ले जाने की जिद
लाइब्रेरी में पढ़ने की जिद
आकर चुपके से आँखों का ढकना
कितना पढ़ा मुझे भी बता दे
यही तेरी कोशिश रहता था
यह सब क्या था?
शायद तुमको मुझसे प्यार था

आया करती थी मेरे पीछे-पीछे
अपने सहेलियों के साथ बस स्टैंड तक
बस में चढ़ना ,जाते हुए बॉय बोलना
सी यू सून के साथ कल आने का वादा करना
ये सब क्या था?
शायद तुमको मुझसे प्यार था

अब भी आती है तू
मेरे साथ-साथ बस स्टैंड तक
बस मतलब थोड़ा बदल गया है
पहले सच में आया करती थी
अब खवाबों में आती हो
मैं भी तुम्हे यूँ ही नजर मिलाया करता था
तेरी बातो में मै भी खो जाया करता था
मेरे दिल में भी तेरा तस्वीर बस गया था
ये सब क्या था?
शायद मुझकों भी तुमसे प्यार था।।

Hindi Poem by Dileep Kushwaha : 111168284

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