#kavyotsav_2
# माँ तेरी ममता के छावं में रहना है
माँ
तेरी ममता की छाव में रहना है
मैं भटक गया था
इस दुनिया की चकाचौध में
भूल गया था तेरी प्यार को
अब छोड़ क्षणभंगुर प्यार को
अब स्थायित्वता की और बढ़ना है
माँ
तेरी ममता की छावं में रहना है
पाला है बहुत मेहनत से तू
सोच सकता नही वहाँ तक मैं
ख़ीला देती अपने अंश का भोजन
कह कितना पतला हो गया है रे
एक बार फिर तेरी गोदी में
सर रख कर सोना है
माँ
तेरी ममता के छावं में रहना है।
कितना दर्द सही है
तू मेरे लिए
पापा के हर डाट से
बचायी है तू मुझे
तेरे हाथों से खाने के लिए
कितना लड़े-झगड़ें है
एक बार फिर तेरे हाथों से
खाते रहना है
माँ
तेरी ममता की छावं में रहना है
मैं था बीमार
दर्द से कराह
माँ माँ पुकार रहा था
तू सोई नही थी रात भर
जैसे अपना दर्द सा हो रहा हो
अब तो ऐसे ही
तुझे पुकारते रहना है
माँ
तेरी ममता की छांव में रहना है

Hindi Poem by Dileep Kushwaha : 111167623

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