#kavyotsav2
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दिल को कई बार समझाया
किन्तु उवाल भी जायज थी।
गुस्सा होना फितरत मे नहीं
पर वो मिसाल भी जायज थी।।

यूं अचानक विमुख हो जाना
शायद मेरा ही दुर्भाग्य रहा हो
पर तुम्हीं बताओ मेरे प्यारे
क्या मेरी बात नाजायज़ थी।।

रूठ जाओ या भाड़ मे जाओ
अब हम क़जा नहीं गाएगे
कितनी बार तुम्हें समझाया
पर कोकिल नहीं तुम वायस थी।।

तेरे कड़वे शब्द ने मुझको
कुछ ऐसे छल्ली कर डारे
पर छल्ली करना चुहिया मे
हर हाल मे जायज थी।
*प्रिन्शु लोकेश तिवारी*

English Poem by प्रिन्शु लोकेश तिवारी : 111167451

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