#kavyotsav2
*_______गजल(२)________*
जख्म देने वाले ही आह किये जा रहे।
बिना मुझे समझें वो वाह किये जा रहे।

पुर्सिश-ए-हाल-ए-दिल सरे-राह मत आओ
न चाहने वाले क्यूं मरकज़-ए-निगाह किये जा रहे।

इल्तिज़ा है कि अब ख्वाब मे भी मत आओ
क्यूं रंगीन रात को स्याह किये जा रहे।

हिज़्र मे तो आब-ए-चश्म दरिया-ए-खूं है
उसे बहने दे अब क्यूं राह दिये जा रहे।

तनफ़्फुर सख्त है तनफ़्फुर करने वालों से
पता है इल्म ज्यादा है तभी इम्तिहां किये जा रहे।
*प्रिन्शु लोकेश तिवारी*

English Poem by प्रिन्शु लोकेश तिवारी : 111167444

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now