#काव्योत्सव२

ज़हर...

सुनी है सदा... आज भी खोया हुवा गम है...
ना तुम खोये ना हम खोये.....
वो भी एक पल था ये भी एक पल है...
रह जाती है धरि... आसुओं में आँखें नाम ये....
कभी तुम रोये कभी हम रोये...
वो भी एक पल था ये भी एक पल है...
अल्फ़ाज़ों में लिपटी शाम दामन में छुपी रात है...
कभी तुम जागे तो कभी हम जागे रात....
वो भी एक पल था ये भी एक पल है....
कहने को था बहोत कुछ... बोल न पाए ये बात और है...
वो भी एक पल था ये भी एक पल है...
लिपटती थी बाहों में अंगडायों की शाम थी...
प्यार के घेरे में बस तेरी मेरी बात थी...
ख़्वाइशों में सजी प्यार की सौगात थी...
आंसुओं में डूब गई ये बारिश... गमों की बात तो और थी...
वो भी एक पल था ये भी एक पल है...
ये पल अजीब है...
वो पल खुशनसीब था...
ये पल गमगीन है...
वो पल हसीन था...
ये पल वो पल सब लम्हो की दास्तान है...
जिसमें जिये हम और तुम...
ये यादें क्या जुदाई से नासाज है....
यही यादें जिंदगी का साज़ है...
कल लाएगी हसी यह दोनों के चेहरे पे कभी...
जब गम मैं होगी सदा खुशियों से होगा बेर याद आएंगे ये पल जो आज लगते है ज़हर...

Hindi Poem by Harshad Molishree : 111167039
Harshad Molishree 5 years ago

Thank uhhh so much... yess i will...

Shaimee oza Lafj 5 years ago

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