#kavyotsav2
विषय : भावनाप्रधान कविता

[ इन पंक्तियों में कविता को एक नवयुवती / स्त्री के रूप में माना गया है और काव्य के विभिन्न संप्रदायों अथवा आवश्यक तत्वों यथा; रस, छंद, अलंकार, वक्रोक्ति, ध्वनि, औचित्य, रीति, गुण आदि को कविता के विभिन्न अंगो-उपांगो के के सौन्दर्य वर्धक आभूषणों की संज्ञा देते हुए कविता की संपूर्णता की कल्पना की गयी है। ]

|| कविता कामिनी ||

साड़ी है भाव वसन की,
शब्दों के जड़े सितारे ।
तन अर्थ गंध से महका,
भाषा नव रूप सँवारे ।१।

गहने सब अलंकार है,
छंदोमय अंगिया बंधन ।
अति वक्र नयन कजरारे,
ले वक्र उक्ति का अंजन ।२।

ध्वनि रमी लक्षणा अभिधा,
पायल की मृदु झन-झन में ।
सुंदर सरगम सी सरके,
चंचल चूड़ी खन-खन में ।३।

हर तरह रीति प्रण पाले,
नख-शिख औचित्य निभाए ।
गुण ओज प्रसाद निरंतर,
माधुर्य छलकता जाए ।४।

सिर पर नव रस की गगरी,
चलती है संभल- संभल के ।
है अरुण अधर में कंपन,
गाती कुछ हलके-हलके ।५।

शरमाती नयन झुकाए,
आई वो हृदय सदन में ।
कवि मानस बोल उठा यूँ,
तुम कौन कामिनीपन में ।६।

थोड़ा घूँघट सरकाया,
उन्नत कर सूरत भोली ।
पहले निज योवन निरखा,
फिर मंद-मंद यूं बोली ।७।

कविता हूँ कवि महबूबा,
कवि प्राणेश्वर है मेरे ।
आई हूँ आज सँवर के,
उनके संग लेने फेरे ।८।

- उदयवीर
सर्वाधिकार सुरक्षित

Hindi Poem by Udayvir Singh : 111166186
Namita Gupta 5 years ago

सर ,मेरी कुछ कविताएं इसी बाइट्स सेक्शन में है ।कृपया उन्हें पढ़ें ,अच्छी लगे तो लाइक अवश्य करें ।

Udayvir Singh 5 years ago

धन्यवाद @Namita Gupta जी। आपकी कविताएँ तो अवश्य पढ़ूँगा। पर रही बात मार्गदर्शन की तो अभी स्वयं को इस लायक़ नहीं समझता, हाँ आपकी कविताओं के बारे में कुछ विचार आयेंगे तो ज़रूर अवगत कराऊँगा।

Namita Gupta 5 years ago

सर !मेरी कविताएं पढकर ,मेरा मार्गदर्शन करें

Namita Gupta 5 years ago

एक कविता का मानवीय चित्रण । सर ! बहुत ही खूबसूरत

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