काव्योत्सव2.0
#गीत
"तुम्हारे नाम हो जाऊं"
अभी कोरा सा कागज हूँ,
तुम्हारे नाम हो जाऊं,
अगर राधा बनो मेरी,
तेरा घनश्याम हो जाऊं,
न हो कुछ दरमियाँ तेरे मेरे,
इतनी गुजारिश है,
अगर तुम सुबह बन जाओ,
तुम्हारी शाम हो जाऊं।।
तुम्हारे दिल में आ करके,
वहीं कुर्बान हो जाऊं,
तुम्हें बिल्कुल खबर ना हो,
तुम्हारी जान हो जाऊं,
चलो आओ मिलाएं दिल से दिल,
जो तुम बनो गीता,
मैं सच कहता हूँ मेरी जान,
मैं कुरान हो जाऊं।।
दिलों की बात करता हूँ,
फिजा में रंग भरता हूँ,
नहीं कुछ काम है मेरा,
तुम्हीं से प्यार करता हूँ,
है चर्चा आम गलियों में,
मोहल्लों में तू दीवानी,
उन्हीं इश्कन की गलियों में,
मैं भी बदनाम हो जाऊं।।
मुहब्बत के कसीदे ना पढूँ,
दिल की सुनाता हूँ,
तेरी यादों को शब्दों में,
मैं रचकर गीत गाता हूँ,
तेरी मूरत को दिल के ,
बंद कमरों में सजा रखा,
अगर आगाज तुम कर दो,
तो मैं अंजाम हो जाऊं।।
-राकेश सागर