#काव्योत्सव
दुआसे रहे

सामने समंदर था फिर भी प्यासे रहे
खारा सही पानी था यहीं दिलासे रहे

नामो निशां मिट गये उनके जहांसे
जो अपनी जिंदगीमे यारो खुदासे रहे.

मां जबसे छोड गई है इस जहाँको
दामन और दिल सभी महेरुम दुआसे रहे

तूमसे बिछडके खास कुछ नही हुआ
बस जिंदगीसे हम खफा खफासे रहे

महेल तो बहोत बनाये सपनोके हमने
ख्वाबोके थे महेल ख्वाबोके, हवा से रहे

सपना विजापुरा

Hindi Poem by Sapana : 111165509

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