#kavyotsav2
विषय : भावनाप्रधान

|| मेरे अरमान ||

यूं तो कितने अरमां अक्सर, रोज दफ़न होते रहते हैं।
दर्द किसी को पता चले ना, इसीलिए हंसते रहते हैं॥

कदम- कदम पर कांटे बिखरे, फिर भी चलना जारी है।
दूर बहुत मंजिल है बेशक , पर पूरी तैयारी है ॥
दिल टुकड़ों में बिखरा लेकिन, ठीक है सब..! कहते रहते हैं...
दर्द किसी को पता चले ना, इसीलिए हंसते रहते हैं॥

महफिल अपने लिए हजारों, बार सजाई जाती है ।
फिर भी ये तन्हाई आकर, शोक राग क्यों गाती है ॥
दिन भर अश्क रुके पलकों पर, रातों में बहते रहते हैं...
दर्द किसी को पता चले ना, इसीलिए हंसते रहते हैं॥

जीवन का हर लमहा उलझा, तो क्या दुनियां छोड़ चलें ।
नहीं निभा पाए वो कस्में, तो क्या हम भी वादे तोड़ चलें.?
अपनों का दिल टूट न जाए, पीर कठिन सहते रहते हैं...
दर्द किसी को पता चले ना, इसीलिए हंसते रहते हैं॥

कितने तूफानों ने रौंदा, इस आबाद गुलिस्तां को ।
पर वीराना रोक न पाया, अब तक मेरे रस्ता को ॥
दर्द बयां हो जाए 'उदय़' तो, गीत- ग़ज़ल गाते रहते हैं...
दर्द किसी को पता चले ना, इसीलिए हंसते रहते हैं॥

यूं तो कितने अरमां अक्सर, रोज दफ़न होते रहते हैं।

- उदय

Hindi Poem by Udayvir Singh : 111164456

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