#kavyotsav_2
“ मै खुश हूँ ...पर ...”
मै खुश हूँ की मेरी 150 वी जन्मजयंति मनाई जा रही है,
भूल जाने से बहेतर है, इसतरह याद तो बनाई जा रही है .
मै खुश हु की मेरी हंसती फोटो, नोट पर दिखाई दे रही है,
गलत कामोंमें ही सही, पर कहीं चलायी तो जा रही है
मै खुश हु की मेरे नामकी सड़कें बनाई जा रही है
रुक जाने से बहेतर है, कही न कही तो जा रही है
मै खुश हूँ की चौराहोंके बीच, मेरी मूर्तियाँ खड़ी की गई है
पथ्थरसी जडवत ही सही, बीच सडक पर, मेरी पहेचान तो बनी रही है.
मै खुश हूँ की सरकारी दफ्तरों व न्यायालयमें मेरी तसवीर टंगी है
तसवीरमें ही सही, निर्जीव, गुमसुम न्यायकी नियत तो दिख रही है
मै खुश हूँ की तरह तरह के मिडियामें, मेरे मूल्यों और प्रदानकी चर्चायें करी जा रही है
आचरणमें ना ही सही, मेरे जीवन और संदेशकी पुष्टिकी औपचारिकता तो की जा रही है.
मै खुश हूँ की “वैष्णव जन तो तेने रे कहिये’ की प्रार्थनाएँ गाई जा रही है
समजमें और पालनमें ना ही सही, मेरे व्रतोंको पुकार तो दी जा रही है
मैं खुश हु की, आश्रम और स्मारक भवनमें, कई प्रकारकी प्रदर्शनी रखी गई है
देशवासियोंके दिलमें ना ही सही, कांचकी बंध अलमारियोंमें दर्शन तो दे रही है
बस खोज रहा हु एकसो पचास सालों से,
मैंने जो कहा था “मेरा जीवन ही मेरा संदेश है”
पर यह कहीं कुछ गलती से आचरणमें क्यों नही है ?
पर मुजे क्या ? मैं कहाँ जीवित हु ? मैं तो मर चूका हु ..
मेरी तो हत्या हो चुकी है ... हत्या ...
तीन ही गोली थी वह ...जो देह का नाश कर गयी ..
हत्या तो अब हो रही है मेरी, भ्रष्टाचार, जात-पांत, हिंसा, करचोरी जैसी .... कई गोलियों से
हररोज ... फिर भी ...
मै खुश हूं की मेरी 150 वी जन्मजयंति मनाई जा रही है,
भूल जाने से बहेतर है, इसतरह याद तो बनाई जा रही है.