#काव्योत्सव -2
श्रेणी : अध्यात्म
" जीवन सार "
जन्म और मृत्यु के मध्य
जीवन का सार है
गंगा-जमुना-सरस्वती का संगम
पावन स्थल - प्रयाग।
चारों धाम की परिक्रमा में
सिमटा पुण्य।
क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा,
शाश्वत सत्य का प्रतिरूप।
हिमालय की ऊँचाई और
सागर सी गहराई स्वरूपा
निज जीवन यात्रा।
तो क्यूँ ना इस जीवन के ही
समस्त सार को समेट लें ?
जितना पाया, जिस रूप में पाया
अनमोल है,
उसे ही जीवन में उतार लें।
उसे ही जीवन में उतार लें।
नीलिमा कुमार