#भावनाप्रधान

इंतज़ार..

छिले पैरों से..
कोई इस सहरा में तो आया होगा..
वरना आंधी में..
दिया किसने जलाया होगा..
जर्रे जर्रे पर..
करे होंगे हजारों सजदे ..
एक एक बुत को..
खुदा उसने बनाया होगा..
प्यास जलते हुए..
कांटों की बुझाई होगी..
रिसते लहू को..
हथेली पे सजाया होगा..
मिल गया होगा..
कभी कोई सुनहरी पत्थर उसे..
अपना टूटा हुआ..
दिल याद तो आया होगा..
खून के छींटे..
कहीं पोछ न ले राहों से कोई..
किसी ने तो..
वीराने को बहारों से सजाया होगा..
फिर देखा होगा..
कई बार तुमने मुझे आते हुए..
आखिरी साँस तक..
तुमने मुझे बुलाया होगा..
बहते लहू के हर कतरे ने..
खुदा से की होगी दरखास्त मुझसे मिलने की..
बंद आँखों में भी तुमने मुझी को पाया होगा..

Hindi Poem by Sarvesh Saxena : 111163906

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