#KAVYOTSAV -2 #काव्योत्सव
तार पर
कतारबद्ध सैकड़ों गोरैया
निहार रहे
मुख्तसर सी सड़क को

गौरैया के
फैले पंख बताते हैं
सड़कों व तारों से
हो रहा सतत ऊर्जा प्रवाह

आखिर सड़कें ही
सफर के आगाज को
पहुंचाती है अंजाम तक

वैसे भी
चलते चले जाना या
थमने के बावजूद स्पंदन
है उर्जा का रूपांतरण

यानी
जिंदगी नियति है।

~मुकेश~

Hindi Poem by Mukesh Kumar Sinha : 111163534

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