#भावनाप्रधान

नज़्म

यूं ही नहीं लिख जाती
कोई नज़्म,
दिल के नाज़ुक कागज पर,
जज्बातों की कलम गोदनी पड़ती है,
महज़ चंद लफ़्ज़ों का खेल नहीं है ये,
अश्कों की स्याही में
कलम डुबोनी पड़ती है,
बस इतनी सी नहीं है,
किसी नज़्म की दास्तान मेरे दोस्त,
जितनी डूबती है जिंदगी शायर की,
गमों के समंदर में,
नज़्म उतनी ही उम्दा,
लाजवाब बनके निकलती है...

Hindi Poem by Sarvesh Saxena : 111163462

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