सागर में उफनती तेज लहरे
लहेरो की भी तीव्र भुजाए
उसमे तिनका बन के तैरूंगा
लेकिन में हार कभी ना मानूंगा
मंजिलो को खींचते हुए
समस्याओ को सींचते हुए
हर कदम पर जीत ही जीत ठानूंगा
लेकिन में हार कभी ना मानूंगा
बचपन में जब डरता था
ऊँगली पकड़ के चलता था
बस अब अकेला चलना सीखूंगा
लेकिन में हार कभी ना मानूंगा
जब निर्णय की चिंगारी हो
उसमे लहू खौलते अंगारे हो
फिर अथाक परिश्रम में डालूंगा
लेकिन में हार कभी ना मानूंगा
दिल में हौसला मेरा बुलंद हो
मन में उत्साह की तरंग हो
भाग्य को पलट कर दिखाऊंगा
लेकिन में हार कभी ना मानूंगा
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