kavyotsav-2

एक दिन
जब तुम जानोगे
कि, सुंदरता में
कुछ नहीं था जो सुंदर था!

एक दिन तुम जानोगे
कि,जिस पर भरोसा कर
तुम हाथ जोड़ते रहे प्रार्थना में
दिन-रात
वो ईश्वर अस्तित्वहीन था!

एक दिन तुम जानोगे
कि,समुंदर में उतरे थे
जिस नाविक पर​ भरोसा कर के
वो नौसिखिया था!

एक दिन तुम जानोगे...

तब तुम पाओगे
ठगा-सा खुद को!
हताशा के उन पलों में ,,
अपने कंधे थपथपा लेना..
क्योंकि
अंधेरे में जो तीर चलाये थे तुमने
वो ज्यादातर निशाने पे जा लगे थे।

#तारणहार

लता

Hindi Poem by लता खत्री : 111162942

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now