#kavyotsav_2
#तुम_साँस_बनकर_आती_हो

तू साँस बनकर आती हो
जिंदगी बन जाती हो
याद बनकर आती हो
हर लम्हा क्यों तड़पाती हो

तुम साँस बनकर आती हो
जिंदगी बन जाती हो

तुम छाँव में फिर धुप में
तुम छाँव बनकर आती हो
तुम ओस की बून्द वह हो
हाथ जो ना आती हो
मन की गलियों में घूमकर
पलको से नींद चुराती हो

तुम साँस बनकर आती हो
जिंदगी बन जाती हो।

आ बैठ जाती सामने यूँ
दीद तेरा करता रहूं
तेरे अधरों की लाली से
मन तृप्त मैं करता रहूँ
तेरे ज़ुल्फो की उन घेरों में
बस यूँ ही मैं उलझा रहूं
ऐसे ही तुम मेरे खाव्ब में
रूबरू हो जाती हो

तुम साँस बनकर आती हो
जिंदगी बन जाती हो
याद बनकर आती हो
हर लम्हा क्यों तड़पाती हो!!

Hindi Poem by Dileep Kushwaha : 111162273

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