#kavyotsav_2

#बहुत दिनों बाद#
बहुत दिनों बाद
देखा है
उगते हुए सूर्य की
शीतल किरणों को
पंछियो के मधुर
संगीत को
ओस से भींगी
घास को
जाने क्यों नंगे पैर
चलने को तैयार हुआ इनपर
बर्षो बाद
बहुत दिनों के बाद
आज अलार्म घड़ी नही
बाबा ने जगाया है मुझे
अपने पुराने कड़े आवाज में
जिसमे ना की गुंजाइश नही
सोते नही देर तक
बुला अपने पास बहुत समझाया है
सुनके फिर वह पुरानी बात
मन में ताजगी आयी है
बहुत दिनों के बाद
मेरे पसन्द का खाना
माँ ने आज बनाया हैं
जल्दी आ जा नहाके
अंदर से आवाज लगाया है
माँ है खुस बहुत
बेटे को जो खिलाया
बहुत दिनों के बाद

देखा हूं
डूबते सूर्य की
अस्त-ब्यस्त किरणों को
जो पड़ रही है पेड़ो के पत्तो
और चिड़ियों के घोसलों पर
जिसमे लौट रही है पंक्षीया
आराम के लिये
आज मैंने देखा है इनको
बहुत दिनों के बाद

पाकर शीतल हवा
मन को सुकून मिला है
अपनापन का भाव
मन को ताजा किया है
तोड़ अकेलापन
दोस्तों से बात करने का समय मिला है
बहुत दिनों के बाद

Hindi Poem by Dileep Kushwaha : 111162266

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