#kavyotsav -2

एकल संवाद

बादल छितराए से आये है बहुत दिनों बाद..
धूप है कि हार मानने को राज़ी नहीं..
मौसम विभाग खीसे निपोर रहा है
हमेशा की तरह..
बाढ़-आपदा के लिए बनाई गई नावों को दीमक चाट गई
एक मशीन करती जा रही कानफोड़ू शोर
'पूरानी चद्दरें दे दो गूदड़ी सील दूंगी'
कहती है लोहारन
रेडियो बजाता है 'रसिक बलमा हाय रे..'
सपने में दिखाई दी मां,
चूल्हे से कुरेद रही थी राख
'सारे बुकमार्क्स खो गए हैं मेरे'
उसने सबसे कहा,
किंतु सुना सिर्फ उस ने ही था
'तुम्हारी आवाज को ज़ंग लग गई है
जरा तेज बोला कर भुनभुनाने वाली लड़की'
उसने अभी अभी कहा खुद से
उबलते हुए दूध में फूंक देते हुए।
***
लता

Hindi Poem by लता खत्री : 111161817

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