#काव्योत्सव #भावनाप्रधान
इंसान
इसमें क्रोध है अभिमान है,
ये आज का इंसान है,
दुनिया में देखो हर तरफ,
बस पाप का सम्मान है।
जहाँ नारी की इस शक्ति को,
दो पल में झुठलाया गया,
जहाँ ममता की उस हस्ती को,
बस यूँ ही ठुकराया गया।
इस धरती के विनाश का,
ये एक अलग फरमान है,
ये ना समझे माँ तेरे रूप को,
ये आज का इंसान है।
ये आज का इंसान है॥
- सुमति जोशी