।। मेरी खामोशी ।।
तेरी चाहत मेरी खामोशी थी
तेरा प्यार मेरी भूल।
कैसे करू मेरी दास्तां ए बयां ।
जीना मेरी भूल थी।।
रिश्ते मेरे मतलबी ।
जहां गया ठोकर ही मिली।।
मेरी खामोशी ने मेरी ज़िन्दगी ही बर्बाद कर दी ।
ए जालिम अब तो ठहर जा।।
इतने जख्म सहे नहीं जाते ।
अब तो पीगल जा ।।
पता नहीं ए ज़िन्दगी तेरे नियम बड़े अजीब हैं ।
जिसे दिया उसे सब कुछ दिया
और जिससे छिना उसे कही का रहने ना दिया ।
इस खामोशी में अब जीना हैं ।।
तेरे जुल्म हसते-हसते पीना है ।

English Poem by Mitesh Shrimali : 111161082

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