काव्योत्सव २

मेरी बेटी मेरा अभिमान है।----


अधरों की मुस्कान है,
दिल के टुकड़े का नाम है,
मेरी बेटी मेरा अभिमान है।

कभी नदी सी चंचल ,कभी सागर सी गहरी है ,
कभी मेरी बेटी,कभी मेरी माँ बन जाती है ,
कभी बच्चो सी ज़िद्दी ,कभी बड़ो सा डाटती है ,
मेरी बेटी मेरा अभिमान है।

कभी नटखट सी शैतानिया है ,कभी गहरी बातें है उसमे,
कभी कितनी नासमझ ,कभी समझदार है ,
कभी छोटे से दर्द में चिल्लाती है, कभी बड़े घाव भी सह जाती है ,
मेरी बेटी मेरा अभिमान है।

कभी मुझसे खाना खाती थी,अब मुझे खुद खिलाती है,
कभी मेरी गोद में सोती थी,अब मुझे सहलाकर सुलाती है ,
कभी मेरी छोटी गुड़िया थी,अब उसकी भी एक गुड़िया है ,
मेरी बेटी मेरा अभिमान है।

अधरों की मुस्कान है,
दिल के टुकड़े का नाम है,
मेरी बेटी मेरा अभिमान है।
मेरी बेटी मेरे घर की शान है ।।

Hindi Poem by पूर्णिमा राज : 111159826
पूर्णिमा राज 5 years ago

par kavotashav 2 likh kar nahi aa raha hai to kya kare

RAJNIKANT RAMANNDI 5 years ago

ये बाततततत

shekhar kharadi Idriya 5 years ago

अति उत्तम, किन्तु आप #काव्योत्सव-2 लिखियें

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now