#kavyotsav2

कविता- चलो सुनते हैं
प्रियंका गुप्ता

चलो,
कुछ देर खामोश बैठते हैं
और सुनते हैं
हमारे दिलों की
धड़कनों को;
या फिर
दूर से आती किसी ट्रेन की
सीटी की गूँज
और उसके साथ
अपने पाँव के नीचे
हल्के से थरथराती
ज़मीन का कम्पन;
सुनना हो तो सुनो
घर के पिछवाड़े बने
उस छोटे से बगीचे के
एक अनदेखे कोने में छिपे
झींगुरों का संगीत;
और अगर कुछ देर फुरसत हो
तो सुन सकते हो
नदियों को गुनगुनाते हुए;
तुम जब चाहो तब
सुन सकते हो इनमें से कुछ भी
अपनी पसंद के हिसाब से
पर कभी कोशिश करना
अपनी पूरी ताकत लगा के सुनने की
मेरी अबोली अनगिनत आवाज़ें...।

Hindi Poem by प्रियंका गुप्ता : 111158150

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