जिस शिद्दत से लगे हो, तुम ख़ुदा ढुंढ़ने में
माहिर बनगए समजलो, अब तुम बुरा ढूंढने में

साज़िश करके आये हो, तुम क़त्ल की मेरी
काम निग़ाह से लो वक़्त लोगे, तुम छुरा ढूंढने में

जितना मिलता हैं उतना ही अपने पास रखलों
आधा इश्क़ भी खो दोगे, तुम पूरा ढूंढने में

हक़ीम ने इलाज किया ही नहीं कोई आम मर्ज़ था
क्या मलतब हैं उसके लीये, अब नूरा ढूढ़ने में

ख़ामियों पे तुमने क्या ख़ूब ग़ौर किया हैं मेरी
गिलास पूरा भरा था लगें थे तुम अधूरा ढूढ़ने में

2122 1212 2212 2222 22

हिमांशु

Hindi Shayri by Himanshu Mecwan : 111153137

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