#AB ?kunjdeep..
written by my son.. Praharsh Pandya
ये दिल मांगे मोर
या तो त्रिरंगा लहेराके आऊंगा,
या त्रिरंगे में लिपटा चला आऊंगा,
लेकिन वापस जरूर आऊंगा ।
-विक्रम बत्रा
विक्रम बत्रा - नाम तो सुना ही होगा ।
आज फिर लिखने बैठा तो एकदम से इस जांबाज की याद आ गयी । फीर याद आया "ये दिल मांगे मोर "
विक्रम बत्रा - उनका जन्म 9 सितम्बर 1974 में पालनपुर(हिमाचल प्रदेश) में हुआ था । मां का नाम कमल कांता बत्रा और उनके पिता का नाम जी.एल.बत्रा था। उनके जुड़वां भाई का नाम विशाल बत्रा था।
उन्होंने अपनी पढ़ाई डी.ऐ.वी. कोलेज से प्राप्त की। उन्हें अपने पापा देश भक्ति की कहानीया सुनाते थे। और उनके स्कूल में जब एन.सी.सी की प्रैक्टिस चलती थी, वह देखते रहते थे।
जब वो बड़े हो गये तब उन्होंने मरचंट नेवी की परीक्षा पास करदीं । कुछ ही दिनों में उनकी नौकरी लगने ही वाली थी कि तब उन्होंने अपनी मां से कहा कि, "में इन्डियन आर्मी में जाना चाहता हूँ ।" उनके माता पिता ने उनके इस फेंसले में साथ
दिया ।
विक्रम बत्रा ने इन्डियन आर्मी से जून 1996 देहरादून में जुड़े, वहां पे अपनी तालीम ली ।
यहाँ से शुरू होती है इस जांबाज विक्रम बत्रा की हिरो वाली कहानी ।
उन्हें थर्टीन जेऐके राइफल्स में जबलपुर में भेज दिया गया ।
बाद मे उन्होंने बहोत सी लड़ाईयां लड़ी । जैसे कि- बेटल ऑफ़ पॉइन्ट 4875, बेटल पॉइन्ट ऑफ़ 5140 और आपरेशन विजय । उन्होंने सबमें जीत हासिल की ।
अब उन्हें कारगिल वोर पे भेज दिया गया और वो वहां शानदार तरीके से लडें । उन्होंने ने कहा था की "ये दिल मांगे मोर " मतलब ये दिल कह रहा है कि ऐक और दुश्मन को भेजो ।
आखिर में ईस शूरवीर का अंत हुआ, वो शहीद हो गये ।
वो शहीद तो हो गये लेकिन हमारे दिल में हमेशा के लिये अमर हो गए । वो अभी भी हमारे दिल में जिंदा हैं और रहेंगे ।
उन्हें परमविर चक्र से सम्मानित किया गया ।
अभी भी उनका नाम सुनकर पाकिस्तान हिल जाता है । ये शेरशाह ने पाकिस्तान को हिला डाला था । में शेरशाह इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि की पाकिस्तान की आर्मी उन्हे शेरशाह कहते थे ।
आखिर में ये जरूर कहना चाहूँगा कि-
"तु शहीद हुआ..
तो कैसे तेरी मां सोई होंगी,
एक बात तो तय है ,.,.
तुझे लगने वाली गोली भी सो बार रोयी होंगी ।
जय हिंद । भारत माता की जय ।
- Praharsh Pandya.