उसे राह चाहिए थी, रास्ता दिया हमने
ज़िन्दगी को जिन्दगी का वास्ता दिया हमने

ज़माना लाख पूछता रहा तन्हाई का सबब
जवाब पलटकर खुदा न खास्ता दिया हमने

वो चिल्लाके कर रहा था इश्क़ की नुमाइश
ख़ामोश रहे हम जवाब आहिस्ता दिया हमने

सौदा होने के बाद अब पछतावा कैसा हैं
नायाब सा दिल तुम्हे बहुत सस्ता दिया हमने

ये लकीर जो तुमने खिंच के रखी है दरमियां
उसे हलके से ही सही थोडा खिसका देय हमने

मस्ज़िद मैं जाके उसने जुदाई की दुआ की
तो हस्ते सज़दे मैं इश्क़ का रिश्ता दिया हमने

हिमांशु

Hindi Shayri by Himanshu Mecwan : 111144736

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