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आज भाई का शादी है लेकिन विनय के आँखों में वियोग का आँसू बार-बार उमड़ रहा था। छन-छन में रचित की बातें; यादें विनय के आँखों के सामने घूम रहा था।

उस दिन कितना जलील किया था रचित को लेकिन फिर भी उसने............!!!

जब हॉस्पीटल में रचित ने विनय से कहा - "आँख का इंतजाम हो गया है"............ तब पहली बार गले से लगाया था नफरतों के बीच।  मगर उसने क्या किया? आँखों के बू़ँदों में यादों की दास्तान आँसू बन बहने लगा.........

"क्या कह रहा है, क्या सचमुच"?

विनय चौंक कर रचित के दोनो कुल्हो को पकड़ खुशी से झूम उठा।

लेकिन उसे क्या पता था कि वो आँख किसी और का नहीं बल्कि रचित अपना दान कर आया है।  जिसे सदैव ही विनय दूर रखने का प्रयत्न किया आज वो उसी के खून में मिल चुका है!!!

एक पवित्र रिश्ते को भले विनय नहीं समझ सका  रचित के जिंदगी में लेकिन...........रचित एक पवित्र व "सच्चा रिश्ता" स्थापित कर ब्लड कैंसर पर जीत दर्ज कर इस दुनिया से चला गया॥



©-राजन-सिंह

Hindi Story by Rajan Singh : 111131640

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