#Moral Stories
✍️अभी भी वक्त है ____
आज अचानक, शॉपिंग मॉल में वो टकरा गई। मेरी सबसे अच्छी दोस्त। जो हर समय मेरे साथ रहती, बातें करती, मेरी समस्याओं का समाधान भी करती। शायद मुझसे कुछ कहना चाह कर भी, मेरी फिलासफी के कारण नहीं कह पाई। आज उसका फिर से कहना #अभी #भी #वक्त है, कर लो शादी! नई उम्र में सब अच्छा लगता है,बेफिक्र जिंदगी। लेकिन समय के साथ आपकी प्राथमिकताएं बदलने लगती हैं।मेरी दोस्त, मेरे लिए चिंतित,उसे देख अच्छा लगा। जिंदगी की दस साल पुरानी यादें ताजा हो गई। मैं घर में सबका बहुत ही प्रिय, मित्रों में जिंदादिल और बहुत खुशमिजाज था। मैं भी अपनी संतुष्टि भरा जीवन जी रहा था, दोस्तों के साथ में एंजॉय करना खूब खुलकर पैसा खर्च करना, सबको अच्छा लगता था। एक मित्र ने समझाया भी कि वक्त के साथ में सारी चीजें बदलती है अब तुम्हें भी शादी कर लेनी चाहिए, लेकिन मुझे तो अपने आजाद ख्याल पसंद था, लगता था शादी, फिर बच्चे, घर परिवार, बस सुबह से लेकर शाम तक खटते रहो। शायद मातापिता भी समझ गए थे, मैं उनकी जरूरत था शौक पूरे करने वाला। अच्छी खासी नौकरी, वेतन सब मेरे सामने प्रिय होने का नाटक करते। माता पिता भी मेरी शादी को लेकर सुस्ती दिखा रहे थे, सोच रहे थे, अगर मेरी शादी हो गई तो मोटा वेतन कहां से आएगा। दादा दादी, नानानानी तो बन ही चुके थे तो वंश चलाने, वगैरह की भी कोई बात नहीं थी। घर में भाई भाभी, बहन उनके घर परिवार सबके बस चुके थे सब अपने बच्चों में रम गए थे। मैं भी उन बच्चों के साथ,खुद को बच्चा ही समझ खुश होता रहा, मित्रों की भी शादी, बच्चे हो गए। धीरे धीरे मैं ने नोटिस किया, कि सब मुझे पैसा खर्च करने तक, बच्चों को संभालने तक तो खुश हैं, लेकिन धीरे धीरे सब मुझसे जैसे पीछा छुड़ाना चाहते हों, दबी जुबान से एक दो बार बहन, भाभी को बातें करते सुन भी लिया इसको तो कोई काम है नहीं, हमें तो अपने घर परिवार देखने हैं, इसके पैसों की वजह से चुप हैं, अभी तो इसको बुढ़ापे में भी ढोना पड़ेगा। तब मुझे पता चला कि घरवाले ही नहीं मित्रों की पत्नियां, सब मुझे एक फालतू अटैचमेंट के सिवाय कुछ नहीं समझते, जो पैसा खर्च कर सकता है, उनके बच्चों के साथ खेलेगा, बीवियों के साथ हैं तो मस्ती, हंसीमजाक करेगा और खुलकर खर्च करेगा। इसके अलावा उनका कोई उद्देश्य नहीं था। मुझे अपनी मित्र की वह बात आज महसूस हो रही है, #अभीभी #वक्त है और अब मैंने अपने लिए जीना सोच लिया है। आज मुझे वह कॉलेज की पुरानी मित्र बहुत याद आरही थी, जिसने कभी मुझे प्रपोज तो नहीं किया, लेकिन कुछ चीजें देर से समझ में आती हैं। उस समय शादी की बातों का मजाक उड़ाता, कि शादी तो बर्बादी, मैं विश्वास नहीं करता। लेकिन अब, अपने ही घर में अपनों के बीच नितांत अकेला महसूस कर रहा हूं। लेकिन #अभी भी #वक्त है,और मैंने भी अपने लिए सोचना शुरू कर दिया है।

English Story by Manu Vashistha : 111124819
Manu Vashistha 5 years ago

सुप्रभात राधे राधे

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